Durga Stuti
Автор: Gauri Kala mandpam
Загружено: 2024-10-11
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सिंहस्था शशिशेखरा मरकत
प्रख्यैश्चतुर्भुजै: शंख चक्रधनु:
शरांश्च दधति नेत्रैस्त्रिभि: शोभिता।
आमुक्तांगदहारकंकणरणत्काञ्ची
रणन्नूपूरा दुर्गा दुर्गातिहारिणी भवतु
नो रत्नोल्लसत्कुण्डला।।
💐#ॐश्रीदुर्गायै_नमः💐
दुर्गा पार्वती का दूसरा नाम है।
हिन्दुओं के शाक्त सम्प्रदाय में भगवती
दुर्गा को ही दुनिया की पराशक्ति और
सर्वोच्च देवता माना जाता है।
(शाक्त सम्प्रदाय ईश्वर को
देवी के रूप में मानता है।)
वेदों में तो दुर्गा का कोई उल्लेख नहीं है,
मगर उपनिषद में देवी 'उमा हैमवती'
उमा,हिमालय की पुत्री का वर्णन है।
पुराण में दुर्गा को आदिशक्ति
माना गया है।
दुर्गा वस्तुतः में शिव की पत्नी पार्वती
का एक रूप हैं,जिसकी उत्पत्ति देवताओं
की प्रार्थना पर राक्षसों का नाश करने के
लिये हुई थी।
इस तरह दुर्गा युद्ध की देवी हैं।
देवी दुर्गा के स्वयं कई रूप हैं।
मुख्य रूप उनका 'गौरी' है अर्थात
शान्तमय,सुन्दर और गोरा रूप।
उनका सबसे भयानक रूप काली है,
अर्थात काला रूप।
विभिन्न रूपों में दुर्गा भारत और नेपाल
के कई मन्दिरों और तीर्थस्थानों में पूजी
जाती हैं।
पहले कुछ दुर्गा मंदिरों में पशुबलि भी
होती थी पर वर्तमान में पशुबलि बंद है।
भगवती दुर्गा की सवारी शेर है।
दुर्गा जी की पूजा में दुर्गा जी की आरती
और दुर्गा चालीसा का पाठ किया जाता है।
नवरात्रि में कलश स्थापना के साथ
-साथ दुर्गा सप्तशती का विधिवत पाठ
किया जाता है।
हिन्दू धर्म ग्रंथ पुराणों के अनुसार माता
भगवती की आराधना का श्रेष्ठ समय
नवरात्र होता है।
भारत में नवरात्र का पर्व,एक ऐसा पर्व
है जो हमारी संस्कृति में महिलाओं के
गरिमामय स्थान को दर्शाता है।
वर्ष के चार नवरात्रों में चैत्र,आषाढ़,
आश्विन और माघ की शुक्ल प्रतिपदा
से नवमी तक नौ दिन के होते हैं,परंतु
प्रसिद्धि में चैत्र और आश्विन के नवरात्र
ही मुख्य माने जाते हैं।
इनमें भी देवीभक्त आश्विन के नवरात्र
अधिक करते हैं।
इनको यथाक्रम वासन्ती और शारदीय
नवरात्र भी कहते हैं।
इनका आरम्भ चैत्र और आश्विन शुक्ल
प्रतिपदा से होता है।
अतः यह प्रतिपदा ’सम्मुखी’ शुभ होती है।
💐#दुर्गाजी_के_सोलह_नाम💐
💐#ब्रह्मवैवर्त_पुराण_से_उद्धृत💐
नारदजी बोले- ब्रह्मन् ! मैंने अत्यन्त
अद्भुत सम्पूर्ण उपाख्यानों को सुना।
अब दुर्गाजी के उत्तम उपाख्यान को
सुनना चाहता हूँ।
वेद की कौथुमी शाखा में जो दुर्गा,
नारायणी,ईशाना,विष्णुमाया,शिवा,
सती,नित्या,सत्या,भगवती,सर्वाणी,
सर्वमंगला,अम्बिका,वैष्णवी,गौरी,
पार्वती और सनातनी-
ये सोलह नाम बताये गये हैं।
वे सब के लिये कल्याण प्रदायक हैं।
इन सोलह नामों का जो उत्तम अर्थ है,
वह सबको अभीष्ट है।
उसमें सर्वसम्मत वेदोक्त
अर्थ को आप बताइये।
पहले किसने दुर्गाजी की पूजा की है ?
फिर दूसरी,तीसरी और चौथी बार
किन-किन लोगों ने उनका सर्वत्र
पूजन किया है ?
श्रीनारायण ने कहा- देवर्षे ! भगवान्
विष्णु ने वेद में इन सोलह नामों का
अर्थ किया है,तुम उसे जानते हो तो
भी मुझसे पुन: पूछते हो।
मैं आगमों के अनुसार उन नामों
का अर्थ कहता हूँ।
दुर्गा दुर्गा शब्द का पदच्छेद यों है,
दुर्ग+आ।
'दुर्ग' शब्द दैत्य,महाविघ्न,भवबन्धन,
कर्म,शोक,दु:ख,नरक,यमदण्ड,जन्म,
महान भय तथा अत्यन्त रोग के अर्थ
में आता है तथा 'आ' शब्द 'हन्ता' का
वाचक है।
जो देवी इन दैत्य और महाविघ्न आदि
का हनन करती है,उसे 'दुर्गा' कहा गया है।
दुर्गति नाशिनी को दुर्गा कहा गया है।
💐#नारायणी💐
यह दुर्गा यश, तेज, रूप और गुणों में
नारायण के समान है तथा नारायण
की ही शक्ति है।
इसलिये 'नारायणी' कही गयी हैं।
💐#ईशाना💐
ईशाना का पदच्छेद इस प्रकार है,
ईशान+आ।
'ईशान' शब्द सम्पूर्ण सिद्धियों के अर्थ
में प्रयुक्त होता है और 'आ' शब्द दाता
का वाचक है।
जो सम्पूर्ण सिद्धियों को देने वाली है,
वह देवी 'ईशाना' कही गयी है।
💐#विष्णुमाया💐
पूर्वकाल में सृष्टि के समय परमात्मा
विष्णु ने माया की सृष्टि की थी और
अपनी उस माया द्वारा सम्पूर्ण विश्व
को मोहित किया।
वह मायादेवी विष्णु की ही शक्ति है,
इसलिये 'विष्णुमाया' कही गयी है।
💐#शिवा💐
'शिवा' शब्द का पदच्देद यों है,
शिव+आ।
'शिव' शब्द शिव एवं कल्याण अर्थ में
प्रयुक्त होता है तथा 'आ' शब्द प्रिय और
दाता-अर्थ में।
वह देवी कल्याणस्वरूपा है,
शिवदायिनी है,कल्याण दात्री है और
शिवप्रिया है,इसलिये 'शिवा' कही गयी है।
💐#सती💐
देवी दुर्गा सद्बुद्धि की अधिष्ठात्री देवी हैं,
प्रत्येक युग में विद्यमान हैं तथा पतिव्रता
एवं सुशीला हैं।
इसीलिये उन्हें 'सती' कहते हैं।
💐#नित्या💐
जैसे भगवान् नित्य हैं,
उसी तरह भगवती भी 'नित्या' हैं।
प्राकृत प्रलय के समय वे अपनी माया से
परमात्मा श्रीकृष्ण में तिरोहित रहती हैं।
सत्या ब्रह्मासे लेकर तृण अथवा कीट
पर्यन्त सम्पूर्ण जगत् कृत्रिम होने के
कारण मिथ्या ही है,परंतु दुर्गा
सत्यस्वरूपा हैं।
जैसे भगवान् सत्य हैं,उसी तरह
प्रकृतिदेवी भी 'सत्या' हैं।
💐#भगवती💐
सिद्ध,ऐश्वर्य आदि के अर्थ में 'भग' शब्द
का प्रयोग होता है,ऐसा समझना चाहिये।
वह सम्पूर्ण सिद्ध,ऐश्वर्यादिरूप भग
प्रत्येक युग में जिनके भीतर विद्यमान है,
वे देवी दुर्गा 'भगवती' कही गयी हैं।
💐#सर्वाणी💐
जो विश्व के सम्पूर्ण चराचर प्राणियों को
जन्म,मृत्यु,जरा आदि की तथा मोक्षकी
भी प्राप्ति कराती हैं,वे देवी अपने इसी
गुण के कारण 'सर्वाणी' कही गयी हैं।
💐#सर्वमंगला💐
'मंगल' शब्द मोक्ष का वाचक है
और 'आ' शब्द दाता का।
जो सम्पूर्ण मोक्ष देती हैं,
वे ही देवी 'सर्वमंगला' हैं।
'मंगल' शब्द हर्ष,सम्पत्ति और कल्याण
के अर्थ में प्रयुक्त होता है।
जो उन सबको देती हैं,वे ही देवी
'सर्वमंगला' नाम से विख्यात हैं।
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