क्या है सूर्या नमस्कार करने का सही तरीका | Surya Namaskar Yoga | सात्विक जीवन | तिलक 🙏
Автор: Satvik Jivan
Загружено: 2023-12-17
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हरी ॐ!
सात्विक जीवन में आपका स्वागत है!
विश्वभर में प्रसिद्ध सूर्य नमस्कार, केवल आसन नहीं है, बल्कि आसन और प्राणायाम का एक अद्भुत संगम है.
12 आसनों के संयोग से बने सूर्या नमस्कार से Muscular Strength बढ़ती है, मांसपेशियाँ बड़ती हैं और स्पाइन की स्टेबिलिटी और स्ट्रेंथ बढ़ती है। जॉइंट्स में फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ती है और अग्नि यानि पाचन तंत्र में भी वृद्धि होती है, मन भी प्रसन्न होता है शरीर के षड-चक्र प्रेरित होते है।
सूर्य नमस्कार की हर अवस्था के साथ एक बीज मंत्र जुड़ा हुआ है और जब तक आप इन बीज मंत्रो का सही प्रकार से उच्चारण नही करते तब तक सूर्य नमस्कार का प्रभाव केवल शरीर तक ही सीमित रहता है।
सूर्य नमस्कार में कुल १२ अवस्थाएं है और इन अवस्थाओं से संबंधित प्रत्येक बीज मंत्र की शुरुआत ॐ से होती है।
ओम कार का उच्चारण परमात्मा के निकट लेके जाता है और जो भी मार्ग परमेश्वर के निकट ले के जेर वह मन को प्रसन्न और षड् चक्र को भी प्रभावित करता है।
सूर्या नमस्कार क्रेन से पहले एक मंत्र का उच्चारण किया जाता है:
हिरण्मयेन पात्रेण सत्यस्यपिहिंत मुखं ।
तत् त्वं पूषम पावृणु सत्यधर्माय दृष्टेय।।
इसके पश्चात ही सूर्या नमस्कार का प्रारंभ करें:
1. प्रथमावस्था - प्रार्थना :
बीजमंत्र :- ॐ मित्राय नमः (Aum hirm mitraya Namha).
यह अवस्था अनहत चक्र को प्रभावित करती है ।
2. द्वितियावस्था है - हस्तोत्थानासन।
बीजमन्त्र :- ॐ ह्रीं रवये नमः | (Aum Harima Raveye Namha)
प्रभाव: विशुद्ध चक्र पर होता है।
3. तृतीयावस्था पादहस्तासन
बीजमन्त्र :- ॐ ह्र सूर्याय नमः । ( Aum Hran Suryaya Namha)
प्रभाव :- मूलाधार चक्र पर होता है।
4. चतुर्थावस्था - अश्व संचलनासन।
बीजमंत्र-ॐ हुँ भानवे नमः। (Aum Harim Bhanave Namha)
प्रभाव:- आज्ञा चक्र पर होता है।
5. पंचमावस्था-पर्वतासन
बीज मंत्र- ॐ ह्रौं खगाय नमः (Aum hroum khagaya namha)
प्रभाव :- विशुद्ध चक्र पर
6. षष्ठमावस्था- साष्टाङ्ग प्रणाम या अष्टाङ्गः मणिपादासन
बीजमंत्र - ॐ हृः पूष्णे नमः (Aum hrah pusne Namha)
प्रभाव :- मूलाधार चक्र पर होता है।
7. सप्तमावस्था-भुजङ्गासन/सर्पासन
बीजमंत्र-ॐ ह्रां हिरणगर्भायनमः Aum hram Hiranya garbhayanamha
8. अष्टमावस्था-पर्वतासन
बीजमंत्र-ॐ ह्री मरीचाये नमः (Aum hrim maricaye namha)
प्रभाव- विशुद्ध चक्र पर होता है।
9. नवमावस्था - अश्वसंचलासन
बीजमंत्र- ॐ ह्यू आदित्याय नमः (Aum hreum adityaya namah)
प्रभाव :- मूलाधार चक्र पर होता है।
10. दशमावस्था-पादहस्तासन
बीजमंत्र-ॐ है सावित्रे नमः Aum hraim savitre namah
प्रभाव :- विशुद्ध चक्र पर होता है।
11. एकादशावस्था-हस्तोत्थानासन
बीज मंत्र- ऊँ हो अकार्य नमः Aum hroum Arkaya namah
श्वास प्रश्वास विधि : सहित कुम्भक ।
12. द्वादशावस्था - प्रार्थना आसन/नमस्कारासन/प्रणामासन
बीजमंत्र - ॐ ह्रः भास्कराय नमः (Aum Hrah bhaskaraya namah)
प्रभाव :- अनहतचक्र पर होता है।
हमें आशा है के आज की इस वीडियो के माध्यम से दी गई जानकारी आप सब के लिये लाभकारी होगी। और आप सूर्य नमस्कार को अपने नियमित व्यायाम में सम्मिलित करेंगे, और इससे होने वाले लाभ को कमैंट्स के द्वारा हम से सांझा करेंगे।
सात्विक जीवन के मध्य से हमारा संदेश यहीं है कि योग के विशाल मूल्यों को समझे, सात्विक आहार का सेवन और आयुर्वेद का पालन करें जिससे स्वास्थ्य उत्तम रहे, बिना स्वास्थ्य के योग का अनुशासन संभव नहीं है।
सात्विक जीवन और स्वास्थ्य संबंधित जानकारी के लिए हमारे साथ जुड़े रहिए, स्वस्थ रहे और प्रसन्न रहे ।
स्वस्थ रहें प्रसन्न रहें। दिव्य शक्ति की कृपा हम सब पर बनी रहे। हरी ॐ तत् सत्।
श्रेय:
डॉ. नेहल शर्मा
आयुर्वेदिक चिकित्सक
Disclaimer: यहाँ मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहाँ यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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