Shri Shiv MahaPuraan [Vaayaviiya Sanhitaa {Poorv Khand (Adhyaay 2)}]
Автор: KYLOCRONEFILMS
Загружено: 2022-11-30
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वायवीय संहिता (शिवपुराण) के पूर्व और उत्तर भाग में पाशुपत विज्ञान, मोक्ष के लिए भगवान शिव के ज्ञान की प्रधानता, हवन, योग और शिव-ध्यान का महत्त्व समझाया गया है।
भगवान शिव ही चराचर जगत् के एकमात्र हेतु एवं स्वामी हैं।
भगवान शिव के 'निर्गुण' और 'सगुण' रूप का विवेचन करते हुए कहा गया है कि शिव एक ही हैं, जो समस्त प्राणियों पर दया करते हैं।
Present Chapter-2:-
ऋषियों का ब्रह्माजी के पास जा उनकी स्तुति करके उनसे परम पुरुष के विषय में प्रश्न करना और ब्रह्माजी का आनन्दमग्न हो ‘रुद्र’ कहकर उत्तर देना
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