श्री भक्तमाल जी (नित्य पाठ)
Автор: Thakurram
Загружено: 2025-12-24
Просмотров: 36
नित्य पाठ के लिए आपने बहुत ही सुंदर और कल्याणकारी पदों को साझा किया है।
इसमें चौबीस अवतार, प्रभु के चरण चिन्ह, प्रमुख भक्त और ऋषि-मुनियों का स्मरण किया गया है।
भक्ति मार्ग में यह मान्यता सर्वोपरि है कि भगवान अपने नाम से ज्यादा अपने भक्तों के नाम को प्रिय मानते हैं।
जैसा कि कहा गया है: "मोरे मन प्रभु अस बिस्वासा, राम ते अधिक राम कर दासा।"
भक्त भक्ति भगवन्त गुरु चतुर नाम वपु एक । इनके पद वन्दन किये नाशहिं विघ्न अनेक ।।🙏
कवच= भक्त, भक्ति, भगवान और गुरु—इन चारों को एक रूप मानकर वंदन करने से जीवन के मानसिक, दैहिक और
भौतिक विघ्न नष्ट हो जाते हैं। यह एक 'रक्षा कवच' बनाता है जो नकारात्मक ऊर्जा को भीतर प्रवेश करने से रोकता है।
जय जय मीन बराह कमठ नरहरि बलि-बावन । परशुराम रघुवीर कृष्ण कीरति जग पावन ।।
बुद्ध कल्कि अरु व्यास पृथू हरि हंस मन्वंतर । यज्ञ ऋषभ हयग्रीव ध्रुव वरदैन धन्वंतर ।।
बद्रीपति दत्त कपिलदेव सनकादिक करुना करौ । चौबीस रूप लीला रुचिर श्री अग्रदास उर पदधरौ ।।🙏
प्रभाव= शास्त्रों के अनुसार, ईश्वर के इन अवतारों के नाम का उच्चारण करने से वातावरण शुद्ध होता है
और भय का नाश होता है। इन रूपों के स्मरण से जीवन के सभी विघ्नों का नाश होता है।
लाभ=जीव के सभी पाप को जलाकर भस्म कर देता है, यह आपके आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
अंकुस अम्बर कुलिश कमल जव ध्वजा धेनुपद । शंख चक्र स्वस्तिक जम्बूफल कलस सुधाहृद ।।
अर्धचंद्र षटकोन मीन बिंदु ऊरधरेखा । अष्टकोन त्रैकोन इंद्रधनु पुरुष विशेखा ।।
सीतापति पद नित बसत एते मंगलदायका । चरण चिन्ह रघुवीर के संतन सदा सहायका ।।🙏
कवच= इसे 'मंगलदायक कवच' कहा गया है, जो साधक को दुर्भाग्य और बुरी दृष्टि से बचाता है।
लाभ= शास्त्रों के अनुसार, हृदय में प्रभु के चरणों का ध्यान करने से मन की चंचलता समाप्त होती है और एकाग्रता बढ़ती है।
विधि नारद शंकर सनकादिक कपिलदेव मनुभूप । नरहरिदास जनक भीषम बलि शुकमुनि धर्मस्वरूप ।।
अन्तरंग अनुचर हरि जू के जो इन कौ यश गावैं । आदि अन्त लौं मंगल तिनके श्रोता वक्ता पावैं ।।
अजामेल परसंग यह निर्णय परम धर्म के जान । इन की कृपा और पुनि समझे द्वादस भक्त प्रधान ।।🙏
कमला गरुड़ सुनंद आदि षोडस प्रभु पद रति । हनुमन्त जामवन्त सुग्रीव विभीषण शबरी खगपति ।।
ध्रुव उद्धव अम्बरीष विदुर अक्रूर सुदामा । चन्द्रहास चित्रकेतु ग्राह गज पाण्डव नामा ।।
कौषारव कुंती बधू पट ऐंचत लज्जा हरी । हरि वल्लभ सब प्रार्थों जिन चरण रेणु आसा धरी ।।🙏
अगस्त्य पुलस्त्य पुलह च्यवन वशिष्ठ सौभरि ऋषि । कर्दम अत्रि ऋचीक गर्ग गौतम सुव्यास शिषि ।।
लोमश भृगु दालभ्य अंगिरा श्रृंगि प्रकासी । माण्डव्य विश्वामित्र दुर्वासा सहस अठासी ।।
जाबालि जमदग्नि मायादर्श कश्यप परबत पाराशर पदरज धरौं । ध्यान चतुर्भुज चित धर्यो तिन्हें शरण हौं अनुसरौं ।।🙏
कवच= जब हम महापुरुषों का स्मरण करते हैं, तो हमारे भीतर उनके गुण आने लगते हैं।
यह हमें कुसंगति और गलत विचारों से बचाने वाला एक 'चरित्र कवच' प्रदान करता है।
लाभ= भक्तों का नाम लेने से "अनपायिनी भक्ति" अटल भक्ति प्राप्त होती है और भवसागर से तरना सरल हो जाता है।
श्री नाभादास जी की ये पंक्तियाँ एक 'भाव-कवच' हैं। यदि आप इनका नित्य पाठ करते हैं,
तो यह आपके चारों ओर एक सकारात्मक सुरक्षा चक्र निर्मित करता है जिससे मानसिक शांति बनी रहती है और भक्ति प्रगाढ़ होती है।
पाठ करने की विधि और सुझाव:
समय: प्रातः काल स्नान के बाद और सायं काल संध्या वंदन के समय इसका पाठ करना सर्वोत्तम है।
भाव= पाठ करते समय यह भाव रखें कि आप केवल शब्द नहीं पढ़ रहे, बल्कि उन महान शक्तियों को अपने पास बुला रहे हैं।
#भक्तमाल #भक्तमालकथा #श्री #श्रीमद्भागवत #श्रीमद्भागवतकथा @ठाकुरराम
#bhajan #krishnabhajan #bhajan2025 #newbhajan2025 #2025kebhajan #krishna #krishnasongs #nonstopvishnubhajan #nonstopkrishanbhajan2025
Доступные форматы для скачивания:
Скачать видео mp4
-
Информация по загрузке: