यह नियम आपका जीवन बदलने वाले हैं | santan dharam ke niyam in hindi | Hindu dharam | bhojan ke niyam
Автор: Rahasya Duniya Hindi
Загружено: 2022-08-30
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यह नियम आपका जीवन बदलने वाले हैं | santan dharam ke niyam in hindi | Hindu dharam | bhojan ke niyam
दोस्तों वैसे तो हमारे वेदों में इंसान के जन्म से लेकर मृत्यु तक उसे क्या करना चाहिये और कैसे करना चाहिये , सब कुछ बहुत ही स्पष्ट रुप से बताया गया है । लेकिन आज के इस विडियो मैं आपको , आपके जीवन से संबंधित पांच ऐसी बाते बताउंगा जिनके बारे में आपको शायद पता नहीं होगा और यदि आप इन बातों को अपने जीवन में अपनाते हैं तो निशिचित ही आपका स्वास्थ्य निरोगी बनेगा तथा जीवन में सुख समृद्धि आयेगी । और हां इस विडियो को आप मनोरंजन के लिये मत देखना , इन नियमों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास भी आप करना है । इस विडियो को ना तो लाइक करना और ना ही शेयर करना और ना ही चैनल को सब्सक्राइब करना है , बस आप इन नियमों को जीवन में उतार लेना तो मेरा विडियो बनाने का उद्देश्य सफल हो जायेगा । ज्यादा नहीं तो केवल एक महीने , सिर्फ 30 दिन करके देख लो , परिवर्तन अपने आप दिखेगा ।
1. सबसे पहले तो यह समझ लो की ध्यान कैसे और कब करना चाहिये और इससे क्या लाभ ह़ता है ? यदि आपको लगता है कि आंख बंद करके बैठ जाना ध्यान है या मूर्ति के सामने बैठ जाना ध्यान है या माला जपना ध्यान है । तो आपको ध्यान का सही अर्थ ही पता नहीं है । ध्यान का अर्थ होता है वर्तमान में जीना । ध्यान का मूल अर्थ है जागरूकता, अवेयरनेस, होश, साक्षी भाव और दृष्टा भाव। ध्यान का अर्थ एकाग्रता नहीं होता है । एकाग्रता टॉर्च की स्पॉट लाइट की तरह होती है जो किसी एक जगह को ही फोकस करती है, लेकिन ध्यान उस बल्ब की तरह है जो चारों दिशाओं में प्रकाश फैलाता है। ध्यान कोई क्रिया नहीं होती है । बहुत से लोग क्रियाओं को ध्यान समझने की भूल करते हैं, जबकि क्रियाएं ध्यान को जगाने की विधियां हैं। विधि और ध्यान में फर्क होता है । क्रिया तो साधन है साध्य नहीं। क्रिया तो ओजार है। ध्यान क्रियाओं से मुक्ति है , विचारों से मुक्ति है ध्यान । अनावश्यक कल्पना व विचारों को मन से हटाकर शुद्ध और निर्मल मौन में चले जाना ध्यान है । विचारों पर नियंत्रण ध्यान है । ध्यान में इंद्रियां मन के साथ, मन बुद्धि के साथ और बुद्धि अपने स्वरूप आत्मा में लीन होने लगती है। जिन्हें साक्षी या दृष्टा भाव समझ में नहीं आता उन्हें शुरू में ध्यान का अभ्यास आंख बंद करने करना चाहिए। फिर अभ्यास बढ़ जाने पर आंखें बंद हों या खुली, साधक अपने स्वरूप के साथ ही जुड़ा रहता है और अंतत: वह साक्षी भाव में स्थिति होकर किसी काम को करते हुए भी ध्यान की अवस्था में रह सकता है। ध्यान से उच्च रक्तचाप नियंत्रित होता है। सिरदर्द दूर होता है। शरीर में प्रतिरक्षण क्षमता का विकास होता है। ध्यान से शरीर में स्थिरता बढ़ती है। यह स्थिरता शरीर को मजबूत करती है। आधुनिक मनुष्य के लिए ध्यान जरूरी है क्योंकि ध्यान से मन और मस्तिष्क शांत रहता है। ध्यान करने से तनाव नहीं रहता है। दिल में घबराहट, भय और कई तरह के विकार भी नहीं रहते हैं। ध्यान आपके होश पर से भावना और विचारों के बादल को हटाकर शुद्ध रूप से आपको वर्तमान में खड़ा कर देता है। ध्यान के अभ्यास से जागरूकता बढ़ती है। ध्यानी व्यक्ति यंत्रवत जीना छोड़ देता है। विचारों और खयालों के बादल में छुप गई आत्मा को पाने का एक मात्र तरीका ध्यान ही है। कहते हैं कि मरने के बाद व्यक्ति बेहोशी के अंधकार में चला जाता है, लेकिन ध्यानियों की कोई मृत्यु नहीं होती है । स्वयं को ढूंढने के लिए ध्यान ही एक मात्र विकल्प है। ध्यान से वर्तमान को देखने और समझने में मदद मिलती है। शुद्ध रूप से देखने की क्षमता बढ़ने से विवेक जाग्रत होगा। विवेक के जाग्रत होने से होश बढ़ेगा। होश के बढ़ने से मृत्यु काल में देह के छूटने का बोध रहेगा। देह के छूटने के बाद जन्म आपकी मुट्ठी में होगा। यही है ध्यान का महत्व। ध्यान को छोड़कर बाकी सारे उपाय प्रपंच मात्र है। ज्ञानीजन कहते हैं कि जिंदगी में सब कुछ पा लेने की लिस्ट में सबमें ऊपर स्वयं को रखो। 70 साल सत्तर सेकंड की तरह बीत जाते हैं। मनुष्य का जैसे जैसे संवेदनाओं का स्तर गिरता जा रहा है वह पशुवत जीवन जिने लगा है। आज के मनुष्य में सभी तरह की पाशविक प्रवृत्तियां बढ़ गई है। परिवार टूट रहे हैं, हिंसा, बलात्कार और ईर्ष्या का स्तर बढ़ गया है। मनुष्य अब शरीर के नीचले स्तर पर जिने लगा है। इस सब का कारण यह यह कि मनुष्य खुद से दूर चला गया है। ध्यान आपको खुद से जोड़ता है। आत्मा से जोड़ता है और वह संवेदनशील एवं प्रेमपूर्ण बनाता है। दुनिया को आज प्रेम, हास्य और संवेदनाओं की ज्यादा जरूरत है। ध्यान अग्नि की तरह है । बुराइयां उसमें जलकर भस्म हो जाती हैं।
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