हे राम शरण में तेरी, तुम हरो आपदा मेरी।।(दादाजी) कौशल पवैया kauahal pawaiya
Автор: Kaushal Pawaiya Bhajan
Загружено: 2025-12-18
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दोहा:
सत्य परम परमारथ रूपा, परमानंद परम अनूपा।
सुमिरिये ताहि, गाइये ताहि, जीव न पड़िये भव की कूपा।।
वट विश्वास अचल निज धरमा।
"राम" "सब कर परम प्रकाशक जोईं,
राम अनादि अवध पति सोई।।"
राम नाम के गान से, परमानंद आठों याम।
श्रद्धा भक्ति स्मृति, निर्विकल्प निष्काम।।
अब लग जब लग छोड़ के, जपिये पावन नाम।
जब तक स्वांस आ रही, सुमिर मुरारी राम।।
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हे राम हे राम, हे राम हे राम।
हे राम! शरण में तेरी, तुम हरो आपदा मेरी।
दुख हरो द्वेषता काटो, मिटे वासना ढेरी।।
हे राम! शरण में तेरी, तुम हरो आपदा मेरी।।
ममता ब्याधा हरो कामना, लिप्सा भीतर मेरी।
तुझे सुमिर लूं , तुझे पुकारूं, तेरे नाम की माला फेरी।
हे राम हे राम, हे राम हे राम।
हे राम! शरण में तेरी, तुम हरो आपदा मेरी।
दुख हरो द्वेषता काटो, मिटे वासना ढेरी।।
हे राम! शरण में तेरी, तुम हरो आपदा मेरी।।
करूणा करो कृपा बरसा दो, मुक्ति हों बृत्तियाँ मेरी।
स्वांस स्वांस में जाप तुम्हारा, व्योहार आस्था मुरारी तेरी।।
हे राम हे राम, हे राम हे राम।
हे राम! शरण में तेरी, तुम हरो आपदा मेरी।
दुख हरो द्वेषता काटो, मिटे वासना ढेरी।।
हे राम! शरण में तेरी, तुम हरो आपदा मेरी।।
हे राम! शरण में तेरी, तुम हरो आपदा मेरी।
दुख हरो द्वेषता काटो, मिटे वासना ढेरी।।
हे राम! शरण में तेरी, तुम हरो आपदा मेरी।।
हे राम! शरण में तेरी, तुम हरो आपदा मेरी।।
हे राम हे राम, हे राम हे राम।।
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भजन रचना: पूज्य पिता श्री मुरारीलाल जी पवैया
दादा जी की डायरी : "सत्य स्मृति"
दिनाँक: 20-8-84
पृष्ठ क्रमांक: 29,
"सुमिरन ईश का", "विश्वास हो", "जाप"
मुरार ग्वालियर
धुनबद्ध एवं स्वर: कौशल पवैया
दिनाँक : 18 दिसम्बर 2025
मध्यान्ह काल, नोयडा
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