अदम गोंडवी साहब की अनसुनी गज़लें ।। Adam Gondavi Saahab ki Gajale
Автор: रचनाकार : हिन्दी कविता गीत गज़ल कहानी
Загружено: 2024-04-08
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दोस्तों, इस वीडियो में हम अदम गोंडवी साहब की 3 सुप्रसिद्ध गज़लें लेकर आएं हैं।
रचनाकार चैनल के माध्यम से आपको हिंदी के साहित्यकार, कवि, गज़लकार आदि सभी विधाओं की रचनाएं सुनने को मिलेगी।
वीडियो में प्रस्तुत गज़लें कुछ इस तरह से है।
1. काजू भुने प्लेट में व्हिस्की गिलास में
उतरा है रामराज विधायक निवास में
पक्के समाजवादी हैं तस्कर हों या डकैत
इतना असर है खादी के उजले लिबास में
आज़ादी का ये जश्न मनाएँ वो किस तरह
जो आ गए फुटपाथ पर घर की तलाश में
पैसे से आप चाहें तो सरकार गिरा दें
संसद बदल गई है यहाँ के नख़ाश में
जनता के पास एक ही चारा है बग़ावत
ये बात कह रहा हूँ मैं होश-ओ-हवास में
2. आँख पर पट्टी रहे और अक़्ल पर ताला रहे
अपने शाह-ए-वक़्त का यूँ मर्तबा आला रहे
देखने को दे उन्हें अल्लाह कंप्यूटर की आँख
सोचने को कोई बाबा बाल्टीवाला रहे
तालिब-ए-शोहरत हैं कैसे भी मिले मिलती रहे
आए दिन अख़बार में प्रतिभूति घोटाला रहे
एक जनसेवक को दुनिया में अदम क्या चाहिए
चार छै चमचे रहें माइक रहे माला रहे
3. तुम्हारी फ़ाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है
मगर ये आँकड़ें झूठे हैं ये दावा किताबी है
उधर जम्हूरियत ढोल पीटे जा रहे हैं वो
इधर पर्दे के पीछे बर्बरीयत है नवाबी है
लगी है होड़-सी देखो अमीरी और ग़रीबी में
ये पूँजीवाद के ढाँचे की बुनियादी ख़राबी है
तुम्हारी मेज़ चाँदी की तुम्हारे जाम सोने के
यहाँ ज़ुम्मन के घर में आज भी फूटी रक़ाबी है
दोस्तों, आगे आने वाली पॉडकास्ट में अदम गोंडवी साहब के साथ-साथ अन्य साहित्यकारों की रचनाओं को भी लाने का हमारा प्रयास है।
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