राधे राधे ब्रज वाली राधे [RADHE RADHE BRAJWALI RADHE] ||
Автор: BAJHAN BHAKTI with AI
Загружено: 2025-12-17
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/ @aibhaktisongs
गीत:-
राधे राधे ब्रजवाली राधे
धीमे धीमे जप मन माहीं
साँस‑साँस में बस तू ही तू है
और न चाहत, और न चाही
राधे राधे ब्रजवाली राधे
श्री यमुना के ठंडे तट पर
माला माला नाम पिरो दूँ
तेरे चरणों में प्राण समर्पर
श्याम सुन्दर की प्राण पियारी
हम पर भी कर कृपा की बौछार
कण‑कण में बस जाए तेरा
मधुर ‘राधे’ नाम अपार
ब्रज की रज को माथे रगड़ूँ
सोचूँ भाग हमारे जागे
धूल तेरी चन्दन बन जाए
सुख‑दुख सारे दूर भागें
राधे राधे राधा राधा
जपते जपते मन विश्राम
भीतर की हर गाँठ पिघले
नाम बने बस एक ही धाम
राधा कुंड की शीतल लहरें
हृदय की ज्वाला शांत करें
डूबके नाम तुम्हारा लेता
भीगे नैन, विरह सब हरें
वृंदावन की गली‑गली में
तेरा ही तो गुणगान सुने
वृक्ष, पवन, पत्ते, पंछी
सब के मुख पे तेरा ही गुणे
राधे राधे बोलो साथी
संगत हो तो राह बने
जपते जपते चल पड़े हम
नाम तुम्हारा नौका बने
निद्रा आए तो स्वप्न में भी
राधा नाम ही ओठों पे हो
जागे तो भी पहला शब्द
‘राधे राधे’ ही मुख पे हो
हमारो धन बस राधा नाम
और न कोई धन की आशा
राधा राधा जपते जपते
कट जाए ये जन्म की भाषा
अंतिम साँस जो जब भी आए
जिह्वा पे बस नाम तेरा
राधे राधे कहते‑कहते
चलूँ ब्रज धाम, घर हो तेरा
राधे राधे ब्रजवाली राधे
नाम तेरा जीवन सार
हर धड़कन में बस तू ही तू
और न कोई और संसार
ब्रजमंडल की यात्रा करूँ
नाम से ही मन भटकूँ
वृंदावन गली में घूमूँ
राधे नाम से ही झुकूँ
राधे राधे कुंज बिहारी
श्याम संग रास रचारी
तेरी लीला का ध्यान करूँ
नाम जपूँ बार बार सारी
निधिवन की शीतल छाया में
राधा नाम की माला घुमाऊँ
रात दिन बस यही जपूँ
मन का हर कोण भरा दूँ
राम घाट पर खड़ा होकर
यमुना लहरों को सुनूँ
हर लहर बोले राधे राधे
हर पवन गाए राधा गुण
गोवर्धन की चोटी चढ़ूँ
राधा नाम ही ले चलूँ
पर्वत भी बोले राधे राधे
धरती भी गूँजे राधा कलं
बरसाना की पहाड़ी पर
किशोरी के दर्शन पाऊँ
मोर नाचे राधे गाकर
हर कण में राधा समाऊँ
नंदगांव की गलियों में
यशोदा माँ के आँगन आऊँ
नंद बाबा के द्वार पर
राधे नाम से प्रेम पाऊँ
कोकिलावन की कोंइल सी
राधा नाम की धुन गाऊँ
हर पत्ता हर पंछी बोले
राधे राधे निरंतर जाऊँ
राधे राधे जीवन धन
तेरा नाम ही परम धन
जपते रहूँ दिन रात सदा
ब्रजवासियों का बनूँ बंधु
अंत समय जब आएगा
नाम तेरा मुख पर होगा
राधे राधे कहते कहते
तेरे चरणों में मन होगा
राधे राधे ब्रजवाली राधे
नाम तेरा जीवन सार
हर धड़कन में बस तू ही तू
और न कोई और संसार
राधे राधे ब्रजवाली राधे
नाम तेरा जीवन सार
हर धड़कन में बस तू ही तू
और न कोई और संसार
मथुरा की गलियों से होकर
कृष्ण जन्मभूमि पर आऊँ
यशोदा नंदन का नाम लूँ
राधे संग प्रेम बढ़ाऊँ
गोकुल के बाँसुरी धुन में
राधा नाम की लय बंधे
गाय चराने गोकुल में
हर साँस में राधे संजे
रासलीला के मधुर स्वर
कानों में गूँजते रहें
चाँदनी रात ब्रज अँगरों में
राधे नाम ही सजते रहें
प्रेम सरोवर की शीतलता
मन को भिगोती जाए सदा
कमल नयन वाली राधे रानी
हृदय में बस जाए सदा
गौपी कुंड पर खड़ा होकर
सखियों के संग गान सुनूँ
राधा के गुणों का वर्णन
हर पल मन में भर लूँ
चित्रकूट के जंगल में
राम नाम के संग राधे
दोनों नामों का जप करूँ
जीवन पथ पर चलूँ सधे
राधे राधे हरि नाम
दोनों मिले तो परमानंद
जपते रहूँ निरंतर सदा
भवसागर से हो पार उतरंद
ब्रज के हर कोने को छू लूँ
नाम से ही यात्रा करूँ
वृंदावन, मथुरा, गोकुल
हर धाम में बस राधे जपूँ
अखंड जप का संकल्प लूँ
नाम ही मेरा आश्रय बने
दिन हो या रात हो सदा
राधे राधे ही गूँजे मने
जब भी थकान आए राह में
नाम तेरा ही बल दे जाए
राधे राधे बोलते चलूँ
हर कदम पर प्रेम बरसे जाए
अंतिम यात्रा जब हो ब्रज की
नाम तेरा मुख पर रहेगा
राधे राधे कहते कहते
तेरे चरणों में समा जाएगा
राधे राधे ब्रजवाली राधे
नाम तेरा जीवन सार
हर धड़कन में बस तू ही तू
और न कोई और संसार
राधे राधे ब्रजवाली राधे
नाम तेरा जीवन सार
हर धड़कन में बस तू ही तू
और न कोई और संसार
सुबह सुबह जब आँखें खुलें
पहला शब्द हो ‘राधे राधे’
हाथ जोड़कर बिस्तर पर ही
मन ब्रज में हो, तन घर रहे
रोज़मर्रा के कामों में भी
नाम तुम्हारा साथ चले
रसोई, राह, बाज़ार, दफ्तर
हर क्षण जप का दीप जले
भूल अगर हो जाए हमसे
त्रुटि मिटाकर मार्ग दिखाना
बस इतना उपकार भी हो
क्रोध उठे या मोह जगें जब
राधा नाम की शीतल धारा
अंदर‑अंदर स्नान कराए
शांत करे हर ज्वाला सारा
जो भी अपने, जो भी पराए
सबमें तेरा रूप ही देखूँ
राधे राधे अंतर से बोलूँ
द्वेष, ईर्ष्या सब कुछ त्यागूँ
भोजन पाऊँ तो नाम तुम्हारा
जल भी पियूँ तो याद तेरी
नींद में भी स्वप्न बनकर
आ जाए ब्रज की झलक गहरी
संगत मिल जाए साधु जनों की
तो भी तेरी कृपा समझूँ
हर हरि कथा, हर राधा चर्चा
जीवन का असली सुख मानूँ
जब अकेला महसूस करूँ
नाम तुम्हारा संग हो जाए
‘राधे राधे’ मन ही मन में
जपते‑जपते डर मिट जाए
अपनी कमी, कमजोरी लेकर
चरणों में जब सिर रख दूँ
राधा रानी, श्याम सुन्दर
दोनों को जीवन सुपुर्द करूँ
दिन ढले जब थकन सी लगे
तब भी जपते रहना चाहूँ
शाम की नरम हवा में बैठूँ
तेरा ही नाम सुमिरन गाऊँ
अंत समय भी वैसा आए
जैसे शांत संध्या ब्रज की
राधे राधे होठों पर हो
दृष्टि तेरी मूर्ति पर लगे
राधे राधे ब्रजवाली राधे
नाम तेरा जीवन सार
हर धड़कन में बस तू ही तू
और न कोई और संसार|
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