उन्नत प्राचीन निर्माण तकनीक के प्रमाण देता भारत का रामप्पा मंदिर | प्रवीण मोहन
Автор: Praveen Mohan Hindi
Загружено: 2021-06-26
Просмотров: 198187
800 साल पहले बनाये गये रामप्पा मंदिर पर एक नज़र…
क्या यह संभव है, कि प्राचीन निर्माणकर्ता हमें सिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्होंने वास्तव में इन मंदिरों का निर्माण कैसे किया? 🤔🤔🤔
ENGLISH CHANNEL ➤ / phenomenalplacetravel
Facebook.............. / praveenmohanhindi
Instagram................ / praveenmohan_hindi
Twitter...................... / pm_hindi
Email id - [email protected]
अगर आप मुझे सपोर्ट करना चाहते हैं, तो मेरे पैट्रिअॉन अकाउंट का लिंक ये है - / praveenmohan
00:00 - परिचय
00:24 - मंदिर के केंद्र में बनी छत पर एक नज़र...
01:11 - X का चिह्न!
02:55 - मंदिर में चारों ओर मूर्तियों की एक श्रृंखला!
03:40 - भूकंप रोधी संरचना!
04:17 - मंदिर का एक 3 डी प्रतिकृति!
05:27 - हम लघु मॉडल को देखें...
06:12 - प्राचीन भूकंप रोधी तकनीक!
07:50 - असाधारण ड्रिलिंग तकनीक का उपयोग?
08:41 - स्टेप ड्रिल बिट?
10:14 - मंदिर के निर्माण के सुराग?
11:13 - प्राचीन काल में उपयोग किये जाने वाले उपकरण!
12:03 - स्तम्भों का रहस्य?
13:13 - मंदिर के छोटे प्रतिरूप में बने स्तंभों पर एक नज़र...
14:33 - कई ब्लॉक्स से बने स्तम्भ!
15:50 - भूमिगत मंदिर!
16:53 - निष्कर्ष
हैलो दोस्तों, आइए हम रामप्पा मंदिर पर एक नज़र डालें जो कम से कम 800 साल पहले बनाया गया था, और इस वीडियो के अंत तक, मुझे लगता है कि आप मुझसे सहमत होंगे कि प्राचीन निर्माणकर्ताओं ने आधुनिक तकनीक के समान ही एक बहुत ही उन्नत तकनीक का उपयोग किया होगा। आइए इस मंदिर के केंद्र में बनी छत पर एक नज़र डालते हैं। एक वर्ग में, हम सैकड़ों भगवान देख सकते हैं और यदि आप ज़ूम इन करते हैं और एक टॉर्च से देखते हैं, तो हम उनमें से हर एक को पहचान सकते हैं।
हर एक कोना एक कहानी कहता है। हम जटिल घुमावदार डिजाइनों की जांच नहीं करने जा रहे हैं जो की 3 डी सिमैटिक पैटर्न की तरह दिखते हैं, हम उभरी हुई कलियों और केंद्र की सजावट को नहीं देखने जा रहे हैं जो की बीच में बाहर लटक रहा है। हम केवल उन छोटी आकृतियों पर ज़ूम करने जा रहे हैं जो 1 इंच से कम लंबाई के हैं। इस मंदिर पर मलिक काफूर नामक एक सेनापति ने आक्रमण किया था और उसने इनमें से कुछ आकृतियों को नष्ट कर दिया।
लेकिन आकर्षक बात यह है कि उसके द्वारा आकृतियों को नष्ट करने के बाद, आप स्पष्ट रूप से उनके पीछे X के चिह्न को देख सकते हैं। इसका मतलब है कि प्रत्येक छोटी मूर्ति और उसके पीछे की सतह के बीच एक अंतर है। मूर्तियाँ बहुत ही छोटी हैं, 1 इंच से भी कम लंबी हैं, इसलिए मूर्ति और पृष्ठभूमि के बीच का अंतर मिलीमीटर में रहा होगा। तो, किसी ने भी कैसे इन छोटे अंतराल के भीतर उनके पीछे इन X के निशानों को बनाया होगा?
प्राचीन मशीनिंग प्रौद्योगिकी के बारे में भूल ही जाइए। हम आज भी इन X के निशानों को नहीं तराश सकते हैं, क्योंकि आपके हाथों को अंदर डालने और उन्हें तराशने के लिए कोई जगह ही नहीं है। यहां तक की हम आधुनिक मशीनरी से भी,ठोस चट्टान पर नक्काशी करने के लिए 2 मिलीमीटर जितनी जगह पर X के पैटर्न कैसे बना सकते हैं? हमें लेप्रोस्कोपी जैसे उन्नत सर्जिकल ऑपरेशन के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरणों के समान लचीले ड्रिलिंग और पॉलिशिंग साधनों की आवश्यकता होगी।
यहां तक कि अगर उन्हें पत्थर को पिघलाने वाली तकनीक से ढाला गया, तब भी प्राचीन निर्माणकर्ताओं को सांचा या फ्रेम बनाने के लिए ही बहुत उन्नत परिशुद्धता उपकरण की आवश्यकता पड़ी होगी। लेकिन प्राचीन मशीनिंग प्रौद्योगिकी के अधिक चौंकाने वाले सबूत मौजूद हैं। इस मंदिर में चारों ओर मूर्तियों की एक श्रृंखला है, और पहली नज़र में, आपको लगता है कि वे आधुनिक मोम से बनी आकृतियां हैं जिन्हें बहुत प्रवीणता के साथ ढाला गया है।
पुरातत्वविद् इसकी पुष्टि करते हैं कि ये प्राचीन निर्माताओं द्वारा बनाए गए थे, लेकिन इन संरचनाओं पर किसी उपकरण के चिह्न नहीं है, और न ही कोई मानवीय त्रुटियां हैं। क्या उन्हें उच्च उत्कीर्णन(इंग्रेविंग) तकनीक और चमकाने वाले उपकरणों का उपयोग करके बनाया गया था, जैसा कि हम आज उपयोग करते हैं? अब, इन मूर्तियों के बारे में जो बात मुझे आश्चर्यजनक लग रही है वह ये नहीं है कि ये कितनी उत्तम है, बल्कि वो यह है कि ये अभी तक कैसे इस स्थान पर खड़ी हैं, जब की एक शक्तिशाली भूकंप ने इस मंदिर को हिला दिया था।
भूकंप ने मंदिर के कई ब्लॉकों को खंडित कर दिया, और मैंने पहले ही दिखाया है कि भूकंप-कुशल निर्माताओं ने इस संरचना को भूकंप रोधी बनाया है। लेकिन ये मूर्तियां, नीचे कैसे नहीं गिरीं? ये काले बेसाल्ट से बनी विशिष्ट मूर्तियाँ हैं और एक कोण पर खड़ी हैं। वे अपने पीछे के सैंडस्टोन ब्लॉकों से कैसे जुड़ी हुई हैं? आम तौर पर, यह पता लगाना असंभव होता, लेकिन प्राचीन निर्माणकर्ता बेहद चतुर थे, वे जानते थे कि किसी दिन, कोई उत्तर की तलाश में आएगा।
यही कारण है कि उन्होंने एक छोटा प्रतिरूप बनाया, मंदिर का एक 3 डी प्रतिकृति, और इसे मंदिर परिसर में ही रखा। और मुझे केवल इतना करना था कि उन स्थानों की पहचान करनी थी जहाँ प्रतिमाएँ रखी गई हो। इन आयताकार स्लॉट्स को यहां और उभरे हुए बेस को यहां देखें। यहीं पर मूर्तियाँ वास्तविक मंदिर में रखी गई हैं। अब हम समझ सकते हैं कि भूकंप के बाद भी ये मूर्तियाँ कैसे मजबूती से खड़ी हैं।इन मूर्तियों को स्लॉट्स पर फिट किया गया था, ताकि वे नीचे न गिरें।यह वास्तव में आकर्षक है क्योंकि यदि हम लघु मॉडल को देखें, तो प्राचीन निर्माणकर्ताओं के लिए छोटी मूर्तियों को बनाना और उन्हें इन उपयुक्त स्थानों पर रखना आसान होता।
#हिन्दू #praveenmohanhindi #प्रवीणमोहन
Доступные форматы для скачивания:
Скачать видео mp4
-
Информация по загрузке: