दिव्य वाणी
Автор: गुरुदेवसियाग
Загружено: 2024-03-28
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दिव्य वाणी
Divya Vani
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गुरूदेव के श्री मुख से संजीवनी मंत्र की महिमा :
*मुझे वही शिष्य प्रिय है जो नाम जप करता है, जो चैतन्य है। सातों कोश चैतन्य हो जाएंगे मेरे गुरु बाबा श्री गंगाई नाथ जी की कृपा से।
*हर युग में मनुष्य की शक्ति और सामर्थ्य को ध्यान में रखकर ही आराधना की विधि तय होती है। अब कलयुग में केवल हरि नाम का जप ही सारे कष्टों से छुटकारा देता है।
*संजीवनी मंत्र राधा और कृष्ण का मंत्र है, इसमें राधा तत्व और कृष्ण तत्व दोनों ही शामिल हैं। राधा तत्व सांसारिक सुख देगा व कृष्ण तत्व मोक्ष प्रदान करेगा।
*यह चैतन्य मंत्र है, इस मंत्र में प्राण प्रतिष्ठा की हुई है, न जाने कितने ऋषियों की तपस्या की शक्ति इस छोटे से संजीवनी मंत्र में समाहित है।
*यह बीज मंत्र है जिस तरह बरगद का बीज राई जितना छोटा होता है और बड़ा होकर विशाल वृक्ष बन जाता है।
*यह संजीवनी मंत्र है, आप चाहे किसी भी बीमारी से पीड़ित हो, एड्स, कैंसर, हेपेटाइटिस बी आदि, इस मंत्र को जपोगे तो उस बीमारी से नहीं मरोगे।
*गुरु द्वारा प्राप्त मंत्र ही सभी उद्देश्यों की पूर्ति करता है।
*ऐसे शरीर रूपी सुंदर ग्रंथ को पढ़ना चाहते हो तो नाम ही जपो।
*नाम जप से विघ्नों का नाश होता है।
*बड़ी सीधी आराधना है, आपको कुछ नहीं करना, बस भगवान का नाम जपना है, उसी से परिवर्तन आ जाएगा।
*नाम जप में किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं होती, कर्मकांड या यज्ञ करोगे, आग में घी लकड़ी इत्यादि जलाओगे, तो उसमें कुछ जीव अवश्य जलेंगे।
*कर्मकांड यज्ञों से हजार गुना ज्यादा फायदा जप यज्ञ देता है।
*पतंजलि योग में वर्णित सभी सिद्धियां केवल नाम जप से हो रही हैं।
*नामजप को भगवान श्री कृष्ण ने सबसे उत्तम यज्ञ की संज्ञा दी है।
*जिसका नाम जप रहे हो अंत में उसी में मिल जाओगे।
*लोग समाधि और ध्यान के लालच में नाम जप को ढीला छोड़ देते हैं, साफ कह रहा हूँ के नाम जप को ढीला मत छोड़ो।
*नाम जप ही चाबी है, इसे हर समय जपो।
*आपको सिर्फ नाम जप पर ध्यान केंद्रित करना है, आगे का दायित्व गुरुदेव का है।
----सद गुरूदेव श्री रामलाल जी सियाग
सदगुरुदेव की दिव्य वाणी
"आप चाहे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, अमेरिका कहीं भी रहो, मेरी तस्वीर के सामने प्रार्थना करो, आपका ध्यान लग जाएगा। मेरी तस्वीर से ध्यान लगता है, राम और कृष्ण की तस्वीर से नहीं। मैं बृहस्पतिवार को दीक्षा देता हूं, मैं राधा और कृष्ण के मंत्र की दीक्षा देता हूं, इस मंत्र को जपोगे तो आपकी कुंडलिनी जाग्रत हो जाएगी। अब तक 9 अवतार हो चुके हैं, दसवां अवतार मैं हूं, मैं कल्कि अवतार हूं। मेरी तस्वीर से ध्यान लगता है। अब यहाँ (आज्ञा चक्र ) पर मुझे देखो और ध्यान करो। मन ही मन इस मंत्र को जपो, बिना होंठ जीभ हिलाए। ध्यान सुबह– शाम करना होता है, खाली पेट। सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद, सुबह जल्दी उठकर करो। 15 मिनट से ज्यादा नहीं, ध्यान ज्यादा करोगे तो आगे परेशानी हो जाएगी। (शरीर में गर्मी बढ़ जाएगी, हमारे ऋषि मुनि हिमालय पहाड़ की कंदराओं में क्यों जाते थे? इस कारण नहीं कि वहां भगवान घुसा बैठा है जो जाते ही मिल जाएगा, बल्कि इसलिए कि शरीर गर्मी को सहन कर सके, वे बर्फ की शिलाओ पर नंगे बदन बैठते थे)। मंत्र जप हर समय करो, (Round-the-clock), नाम जप से ही आपका कल्याण होगा"।
--सदगुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग
सिद्ध योग हेतु दीक्षा विधि
मैंने दीक्षा लेने की विधि और उसके उपरांत प्रतिदिन जो क्रियाविधि करनी है वह सरल गायन के रूप में बताई है। इसके अलावा सिद्ध योग आपसे और किसी भी प्रकार के आडंबर अथवा क्रियाविधि की मांग नहीं करता। आप नित्य इतनी कम क्रियाविधि द्वारा ही अपने पाप काटते हुए साधना पथ पर आगे बढ़ते हुए जीवन का उद्देश्य प्राप्त कर सकते हैं।
गुरु वाणी में मंत्र सुनो,
चाहे ऑडियो चाहे वीडियो,
यूँ दीक्षा लेकर शिष्य बनो,
फिर मंत्र जाप करते रहियो।
जब खाली हो जाप करो,
सुबह शाम बस ध्यान करो,
गुरुवर का बस इतना कहना,
फिर चाहे आराम करो।।
जय गुरुदेव
जय दादा गुरूदेव
जय गुरू मां
🙏🏻🤝🌸
-----आपका गुरू भाई अभिषेक मित्तल
आप सभी से अनुरोध है, रंग बिरंगा कुछ दीजिए छोटे छोटे नन्हें मुन्नों को, यानि बच्चों को, तो वो आकर्षित होकर अभी से गुरुदेव से जुड़ जायेंगे, साँसे गिनती की हैं, जितनी गुरुदेव को याद करके चलें, उतनी बढ़िया हैं।
जिस तरह बच्चे games, कार्टून, इत्यादि के प्रति आकर्षित होते है, उसी तरह इन रंग बिरंगे videos के प्रति आकर्षित हो जायेंगे।
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अगर सुंदरता की महत्ता नहीं होती तो भगवान स्वयं को करोड़ों कामदेव जितना सुंदर नहीं बनाते।
Disclaimer for video or peom
गुरुदेव के दर्शन, उनके सिद्धांतों, उनके द्वारा दिया गया मंत्र अथवा उनके द्वारा दो समय बताए गए ध्यान में कहीं कोई परिवर्तन नहीं है, सब कुछ वैसे ही चलना है जैसे गुरुदेव ने बताया है।
मेरा लेखन गुरु के किसी भी दर्शन, मंत्र, ध्यान, कृत्य अथवा सिद्धांत के विरोध में नहीं है बल्कि इन सभी के समर्थन में है जिसे मैं आकर्षक रूप में रंग बिरंगे वीडियोज़ के द्वारा प्रस्तुत करने की चेष्टा कर रहा हूं।
सभी गुरु भाइयों से अनुरोध है के मेरे इस तुच्छ प्रयास को गुरु सेवा के रूप में ही लेवें।
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