चौंकाने वाला रहस्य
Автор: Prachin Bharat
Загружено: 2025-09-17
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1. मौन-वियोग कथा
कहा जाता है कि जब श्रीकृष्ण मथुरा और द्वारका में राजकाज में व्यस्त हो गए, तब राधा जी को विरह की अग्नि ने धीरे-धीरे क्षीण कर दिया।
उनके हृदय में केवल कृष्ण का नाम ही शेष रह गया।
वह ब्रज से निकलकर द्वारका पहुँचीं और श्रीकृष्ण से अंतिम बार मिलकर अपने हृदय की पीड़ा प्रकट की।
कृष्ण ने उनके चरणों को अपने सिर पर रखा और बाँसुरी बजाई।
बाँसुरी की ध्वनि सुनते ही राधा का जीवन प्राण उस स्वर में विलीन हो गया।
2. कृष्ण के चरणों में समर्पण
एक अन्य कथा में आता है कि राधा जी वृद्धावस्था में वृंदावन के निधिवन में रहती थीं।
वहीं साधना करते-करते उनकी देह धीरे-धीरे क्षीण हो गई।
कृष्ण स्वयं उनके पास प्रकट हुए और राधा को अपने हृदय में समेट लिया।
कहा जाता है कि उनकी देह पंचतत्व में लीन हो गई और केवल दिव्य आभा शेष रह गई।
3. ब्रह्मलीन होने की कथा
कुछ परंपराएँ मानती हैं कि राधा की मृत्यु नहीं हुई, बल्कि वह "ब्रह्मलीन" हुईं।
कृष्ण के साथ उनका प्रेम इतना दिव्य था कि जब समय आया, तो वह प्रत्यक्ष देह छोड़कर कृष्ण में ही समा गईं।
इसको "शाश्वत मिलन" कहा गया—जहाँ राधा और कृष्ण अलग नहीं रहे।
4. लोककथा का संस्करण
कुछ लोककथाएँ कहती हैं कि राधा जी विवाह के पश्चात एक अन्य गाँव में रहीं।
वृद्धावस्था में जब जीवन का समय पूरा हुआ, तो उन्होंने श्रीकृष्ण का स्मरण करते हुए प्राण त्याग दिए।
उनकी समाधि ब्रजभूमि के आसपास कही जाती है, जहाँ आज भी भक्त श्रद्धा से जाते हैं।
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👉 सार यह है कि राधा की मृत्यु साधारण नहीं थी, बल्कि वह एक दिव्य घटना थी।
उनकी देह का अंत भले हुआ हो, परंतु उनकी आत्मा सदा के लिए श्रीकृष्ण में विलीन हो गई।
इसीलिए भक्ति परंपरा कहती है—"राधा और कृष्ण अलग नहीं, वे एक ही चेतना के दो रूप हैं।"
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