दुख के कारण के अभाव बिना दुख दूर करने का उपाय केवल भ्रम है ।
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तत्त्वज्ञान के अभ्यास से प्रथमानुयोग दृष्टांतरूप लगने लगता है ।
कषाय की पूर्ति करने में नहीं , कषाय का अभाव करने में सही पुरुषार्थ है ।
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