IMPORTANT ORGANISATION AND MOVEMENT OF BRTISH INDIA ब्रिटिशकलीन भारत की प्रमुख संगठन और आंदोलन
Автор: studywithsahilofficial
Загружено: 2025-11-11
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IMPORTANT ORGANISATION AND MOVEMENT OF BRTISH INDIA ब्रिटिशकलीन भारत की प्रमुख संगठन और आंदोलन
IMPORTANT ORGANISATION AND MOVEMENT OF BRITISH INDIA
ब्रिटिशकालीन भारत के प्रमुख संगठन और आंदोलन | पूरी व्याख्या
भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान अनेक संगठन और आंदोलन उभरे, जिन्होंने देश में राष्ट्रीय चेतना, स्वतंत्रता की भावना और सामाजिक-राजनीतिक जागरूकता को बढ़ावा दिया। प्रारंभिक समय में भारतीय नेताओं ने संवैधानिक सुधारों और शांतिपूर्ण संवाद के माध्यम से अधिकार पाने की कोशिश की, लेकिन समय के साथ अंग्रेजों के दमनकारी रवैये के कारण आंदोलन तेज, व्यापक और अधिक संघर्षपूर्ण होते गए। इन आंदोलनों ने एक सामान्य भारतीय को यह समझ में ला दिया कि स्वतंत्रता कोई मांग नहीं, बल्कि एक हक है।
मुख्य संगठन
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (1885)
इसकी स्थापना ए. ओ. ह्यूम ने की।
शुरुआत में उद्देश्य अंग्रेजों से सुधार की मांग करना था।
बाद में कांग्रेस ही स्वतंत्रता आंदोलन का मुख्य नेतृत्व केंद्र बन गई।
मुस्लिम लीग (1906)
स्थापना का उद्देश्य मुसलमानों के हितों की रक्षा था।
आगे चलकर पाकिस्तान की मांग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
होमरूल लीग आंदोलन (1916)
बाल गंगाधर तिलक और एनी बेसेंट द्वारा संचालित।
उद्देश्य था भारत में स्वराज की मांग को मजबूत करना।
क्रांतिकारी संगठन एवं दल
अनुशीलन समिति, गदर पार्टी, हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) आदि।
उद्देश्य: सशस्त्र विद्रोह और ब्रिटिश शासन का पूर्ण अंत।
प्रमुख क्रांतिकारी: भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, खुदीराम बोस, बटुकेश्वर दत्त।
मुख्य आंदोलन
स्वदेशी आंदोलन (1905)
कारण: बंगाल विभाजन
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विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार और स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा।
आर्थिक राष्ट्रवाद की शुरुआत।
असहयोग आंदोलन (1920-22)
नेतृत्व: महात्मा गांधी
सरकारी शिक्षण संस्थानों, अदालतों और पदों का बहिष्कार।
उद्देश्य: अंग्रेजों के शासन को नैतिक आधार से कमजोर करना।
सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930)
दांडी मार्च से आरंभ
जनता ने ब्रिटिश कानूनों को खुले तौर पर तोड़ा।
सत्याग्रह का मजबूत रूप।
भारत छोड़ो आंदोलन (1942)
नारा: "अंग्रेज़ों भारत छोड़ो"
उद्देश्य: अब केवल पूर्ण स्वतंत्रता
यह भारत की आजादी का निर्णायक आंदोलन बना।
इन संगठनों और आंदोलनों का योगदान
भारतीयों में राष्ट्रीय एकता और राष्ट्रभक्ति की भावना विकसित हुई।
जनता को ब्रिटिश शासन के विरोध और अधिकारों की समझ मिली।
सामाजिक सुधार, राजनीतिक जागृति और स्वतंत्रता इच्छा प्रबल हुई।
अंततः इन सभी प्रयासों ने 1947 में भारत को स्वतंत्रता दिलाने में निर्णायक भूमिका निभाई।
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