पिंगलिका और वासवदत्ता
Автор: धर्म की बात
Загружено: 2026-02-24
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यह उद्धरण पिंगलिका की कथा और वासवदत्ता का पुत्र-वरदान नामक स्रोत से लिया गया है, जिसमें पिंगलिका नामक एक ब्राह्मण महिला अपनी दुखों भरी आत्मकथा सुनाती है। वह अपने पति की मृत्यु, गाँव की लूट और गरीबी के कारण वत्स देश के राजा के दरबार में आश्रय लेने आती है, जहाँ रानी वासवदत्ता से मिलकर उसे पता चलता है कि उसका देवर शान्तिकर वहीं पुरोहित है। इसके बाद, रानी वासवदत्ता पिंगलिका के दोनों पुत्रों को अपने होने वाले पुत्र का पुरोहित नियुक्त करके उनका भरण-पोषण सुनिश्चित करती है। कथा के दूसरे भाग में, पुत्रहीन रानी वासवदत्ता और राजा उदयन भगवान शिव की आराधना करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें यह वरदान मिलता है कि उन्हें कामदेव के अंश रूपी पुत्र की प्राप्ति होगी, जो विद्याधरों का राजा बनेगा।
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