| Saint Kabir | Mat Kar Maya Ko Ahankar with Lyrics | Scam 1992 The Harshad Mehta Story |
Автор: Sanghamitra Kar Bangalore Mariani
Загружено: 2024-12-10
Просмотров: 83
| Saint Kabir | Mat Kar Maya Ko Ahankar with Lyrics | Scam 1992 The Harshad Mehta Story | #माया |
1992 Scam: The Harshad Mehta Story, a web series directed by ace director Hansal Mehta. This song has very deep meaning applicable for our spiritual growth.
Lyrics and meaning taken from: https://brahmalok.org/mat-kar-maaya-k...
Lyrics:
मत कर माया का अहंकार, मत कर काया का अभिमान काया गार से काची,
हो काया गार से काची... रे जैसे ओस रा मोती...
झोंका पवन का लग जाये, झपका पवन का लग जाए काया धूल हो जासी,
हो काया धूल हो जासी रे जैसे ओस रा मोती...
ऐसा सख्त था महाराज, जिनका मुल्कों में था राज जिन घर झूलता हाथी,
हो जिन घर झूलता हाथी, रे जैसे ओस रा मोती...
भरया सिन्दड़ा में तेल, जहाँ रचयो है सब खेल जल रही दिया की बाती,
हो जल रही दिया की बाती, रे जैसे ओस रा मोती...
खूट गया सिन्दड़ा रो तेल, बिखर गया सब निज खेल बुझ गई दिया की बाती,
हो बुझ गया दिया का बाती, रे जैसे ओस रा मोती...
झूठा माई थारो बाप, झूठा सकल परिवार झूठी कुंटता छाती,
हो झूठी कुंटता छाती, रे जैसे ओस रा मोती...
बोल्या भवानी हो नाथ, गुरूजी ने सिर पर धरया हाथ जिनसे मुक्ति हो जासी,
हो जिनसे मुक्ति हो जासी, रे जैसे ओस रा मोती...
मत कर माया का अहंकार, मत कर काया का अभिमान काया गार से काची
भावार्थ-
संत कबीर कहते है अपनी माया (धन-संपत्ति) का अहंकार मत कर। अपने काया (शरीर-ताकत) पर अभिमान मत कर। क्योंकि ये काया (शरीर), गार (मिटटी) से भी काची (कच्ची) है, नाजुक है। ये काया उतनी ही झूठी हे जैसे पत्ते पर जमी ओस की बून्द मोती सी प्रतीत होती है।
अनेक मुल्कों में राज करने वाले महाराज थे, जिसके महलों में हाँथी तक विचरण करते थे। उनके घरों में आज दिया और बाती तक न बचा। सबकुछ नष्ट हो गया।
सिंदड़ा (दिये) में तेल खुट (ख़त्म) हो जाने पर, उसके जलने का खेल खत्म हो जाता है। तेल के बिना दिये की बाती बुझ जाती है। अर्थात इस काया (शरीर) का अस्तित्व और जीवंतता तब तक ही है, जब तक इसमें प्रभु की चेतनता व्याप्त है।। उसके न रहने से ये शरीर जड़ है, धूल के सामान है।
तेरे माता पिता से तेरा सम्बन्ध झूठा है। तेरे समस्त परिवार से तेरा सम्बन्ध झूठा है । तू झूठा ही अहंकार करता है और अपनी छाती कूटता है। इसलिए तेरा अपनी धन-संपत्ति, परिवार और प्रसिद्धि का अभिमान, उतना ही झूठा है जैसे ओस की बून्द मोती सी प्रतीत होती है।
भवानी नाथ जी बोलते हैं की गुरूजी कबीरदास जी ने उनके सिर पर हाँथ रखा जिससे उन्हें मुक्ति मिल रही। अर्थात इस भव सागर को पार करने के लिए गुरु की कृपा, शिक्षा और शरण जरूरी है।
अपनी माया (धन-संपत्ति) का अहंकार मत कर, अपने काया (शरीर ताकत) पर अभिमान मत कर, क्योंकि ये काया (शरीर), गार (मिटटी) से भी काची (कच्ची) है, नाजुक है। ये काया उतनी ही झूठी है जैसे पत्ते पर जमी ओस की बून्द मोती सी प्रतीत होती है।
Lyrics meaning in English:
Don't be deluded by Maaya, Don't be deluded by Maaya, don't take pride in the body Its as fragile as clay, like a drop of dew A blast of wind, just a little gust And the body will turn to dust! There was a stern king, famed among nations Elephants used to roam in his court, now there is no lamp burning today, Like a drop of dew The clay lamp was filled with oil, From it this play unfurled The light burns in the lamp, Like a drop of dew. The clay lamp ran out of oil, the play scattered The light went out in the lamp, like a drop of dew. Mother father - illusion. Family ties - illusion Mourning, beating your chest illusion, like a drop of dew Says Bhavani Nath - My Guru laid his hand on my head Liberation is mine.
Доступные форматы для скачивания:
Скачать видео mp4
-
Информация по загрузке: