Yogsar 154 शरीर पड़ोसी है दुश्मन नहीं
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Yogsar 163 सम्यकदर्शन प्राप्त करने के लिए कैसा पुरुषार्थ चाहिए
Yogsar 156 इच्छा निरोध तपः
3. निज में अपूर्व वैभव है,निज में अपूर्व क्षमता है || नवलब्धि परिचर्चा || उदयपुर प्रवास||
योगसार 162 बंध और मोक्ष का स्वरूप
जैसी भवितव्यता होती है, वैसे ही व्यवसाय, बुद्धि और कार्य हो जाते हैं | || Br. Pandit Ravindra Ji ||
जिनने किये धरम उनके फूटे करम - क्या कारण है की धर्मी जीवों को पाप का उदय ज्यादा आता है
S s c 335 g 166
WITH AIR CMDE KALE (AVSM) MASSIVE SHOCIKN - IMRAN KHAN NO MORE, BHARAT PAR KYA ASAR
योगसार 160 मोक्ष में सुख नही है
#155. असली क्रोध किसे कहते हैं? | क्रोध का स्वरूप एवं निवारण | सप्तभंग शिविर दुर्ग, सुबह. 13.11
Yogsar 155 आत्मा की सच्ची रुचि होनी चाहिए
आत्म कल्याण के लिए कैसा आचरण पालना चाहिए
योगसार 159 ज्ञानी के जीवन में व्रतादिक का पालन कैसे होता है
01. वर्तमान समय में अपने परिणामों को कैसे संभाले ? Dr. Hukamchand ji Bharill
S s c 334 g 166 भेदज्ञान की कला
घर में रखें इन बातों का ध्यान घर बनेगा स्वर्ग #jinvanichannel #jaindharm #jaingyaan #motivation
|| Part 1 || Karma philosophy in jainism || प्रदेशोदय कर्मनिर्जरा , विपाकोदय कर्मनिर्जरा ||
Yogsar 161 गुरुदेव कानजी स्वामी ने हमें क्या दिया
पाकर नर तन क्या खोया क्या पाया आज चिंतन का ये समय आया
श्रावक की 11 प्रतिमा । दर्शन प्रतिमा । मुनि क्षमासागर जी प्रवचन । @aagamkeparipekshme