#भीड़
Автор: आचार्य सोमदेव आर्य(Acharya Somdev Arya)
Загружено: 2025-10-12
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भीड़ और अकेले की बात में यदि चुनाव करना पड़े तो किसी बुद्धिमान विद्वान वेद के वेत्ता पक्षपात रहित सन्यासी की बात माननी चाहिए।
ना कि करोड़ों लोगों की जो कि मूर्ख हैं उनकी बात माननी चाहिए । यही ऋषियों की , वेद की शैली है हमारे यहां भारत के अंदर प्राचीन परंपरा में यही मान्यता रही है कि विद्वानों की बातों का अधिक महत्व होता था ना कि अविद्वानों की ।
वर्तमान के अंदर लोकतंत्र जो दिखाई दे रहा है । यह लोकतंत्र न होकर वोट तंत्र है ।जहां अधिक वोट हैं उनकी बात मानने लग गए। बुद्धिमान की बात नहीं मान रहे इसलिए पतन की और मनुष्य समाज जाता जा रहा है।
इस प्रवचन में आचार्य सोमदेव जी ने बड़ी ही उत्तमता से समझाया है कि किसकी बात माने भीड़ की या विद्वान की इस प्रवचन को अवश्य सुनिए।
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