अथ मंत्रः - Ath Mantrah

'स्तोत्रं कस्य न तुष्टये' अर्थात विश्व में ऐसा कोई भी नहीं है जो स्तुति से प्रसन्न न हो जाता हो - महाकवि कालिदास जी के इस अध्भुत वाक्य को जिस भी मनुष्य ने भली प्रकार समझ लिया वही देवी-देवताओं की कृपा का पात्र बन जाता है क्योंकि सनातन धर्म में जितने भी मंत्र , स्तोत्र , पूजा , जप , कथा , यज्ञ , हवन आदि कर्म किये जाते हैं उन सब में ईश्वर को प्रसन्न करने हेतु उनकी भली प्रकार प्रसंशा अर्थात स्तुति की जाती है|
यद्यपि वेदों , पुराणों , शास्त्रों और उपनिषदों आदि में संस्कृत को देव भाषा कहा गया है तथापि संस्कृत मन्त्रों के द्वारा देवी-देवताओं की आराधना शीघ्र फलदायी होती है, इसी उद्देश्य से हम अपने चैनल '' अथ मंत्रः - Ath Mantrah '' पे हर प्राकर की देव स्तुतियों को निरंतर प्रस्तुत करते रहेंगे
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धन्यवाद- शारंगधर पंडित
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