#64. विश्व सुंदर है और व्यवस्थित है | तत्समय की योग्यता | हिंगोली(महा.), प्रातः 29.09
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#207. पंच समवाय और ज्ञान की स्वतंत्रता का सुमेल | श्री कु. सा. वसदि, शिखर जी, सुबह. 20.12
#66. वचन गुप्ती पूर्वक ही भाषा समिति का संचार होता है | | हिंगोली(महा.), प्रातः 30.09
आत्मन् कलरव | बाल ब्र. पण्डित रवीन्द्र जी 'आत्मन्' | आध्यात्मिक पाठ संग्रह
06. सुन चेतन इक बात | Sun Chetan Ek Baat | Dhyanatrayji | Parthiv Gohil #jainbhajan #jain #bhajan
वैराग्यपूर्ण मार्मिक उद्वोधन पं.श्री समकितजी जैन शिवपुरी(स्व.पं.श्री हुकुमचंदजी जैन श्रद्धांजलि सभा)
उद्बोधन - सुरेश जी, कोबा | श्री कुन्दकुन्द साधना वसदि, 10.12.25
#69. सुविधाओं के प्रेमी और संयम के द्वेषी अस्वस्थ होते ही हैं | वाशिम(महा.), रात्रि 01.10
धर्मात्मा जीवों के पाप का उदय क्यों देखा जाता है ? - बाल ब्र. सुमतप्रकाश जी
#206. साम्यभाव ही सम्यक विचार है | श्री कु. सा. वसदि, शिखर जी, दोपहर. 19.12
Начни делать это и исцелишься от любой болезни! Твоё тело вылечит тебя! Еврейская мудрость
परिणामो की मलिनता से निर्मलता तक । मुनि क्षमासागर जी प्रवचन । @aagamkeparipekshme
#205. स्याद्वाद से सम्यकज्ञान | श्री कु. सा. वसदि, शिखर जी, सुबह. 19.12
#60. जीव किसी कर्म से दुःखी नहीं होता, दुःखी मानता है ये मोह है | हिंगोली(महा.), प्रातः 27.09
संयोगो(शरीर) की संभाल में पूरा जीवन चला जाता है अब तो परिणामों की संभाल करना सीखो
समाधि का सार || डॉ.हुकमचंद भारिल्ल || स्वर - डॉ.गौरव जैन सौगानी एवं श्रीमती दीपशिखा जैन सौगानी #ptst
#65. आत्मा का अनुभव करने से इच्छा का अभाव होता है | हिंगोली(महा.) रात्रि 29.09
#67. यदि संसार से बचना हो तो संसार के कारणों से बचें | हिंगोली(महा.) रात्रि 30.09
Samadhi Maran Path | समाधीमरण पाठ | Dr. Gaurav & Deepshikha Sogani | पंडित सूरचंद्र जी रचित
#76. स्वयं में तृप्ति हुए बिना कहीं शांति नहीं है | डासाला(महा.), प्रातः 05.10
2. धर्म-दर्शन-अध्यात्म । स्वानुभव स्वानुभूति । मुनि श्री क्षमासागर जी प्रवचन । @aagamkeparipekshme